- इन्सुलिन की ग्रहणशीलता को बढ़ा कर इसकी उपयोगिता को बढ़ाता है |
- यह रक्त एवं मूत्र में शर्करा की सामन्य मात्रा को नियंत्रित करता है |
- यह अग्नाशय को उत्तेजित कर शर्करा की उपापचय को ठीक करता है |
- वशा की चायपचय किर्या को ठीक करता है |
- बड़ी छोटी शिराओ के विकार को प्रभावसाली ढंग से रोकता है |
- महत्वपूर्ण अंगो को खराब होने से बचाता है |
सेवन विधि : 3 से 5 ग्राम दिन में तीन बार या चिकित्सक के परामर्श अनुसार |
अनुपान : गर्म जल से खाना खाने के तुरंत बाद |
यह दवा शुगर मरीज के लिए रामबाण इलाज है |किसी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं |
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